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करीब ३ दिन से उसकी पत्नी की तबियत ख़राब चल रही थी. एक दिन तो तबियत ख़राब है, इसी के खुलासे में गुजर गया. दूसरा दिन डाक्टर की ठीक हो जाएगी वाली दवा के सहारे गुजर गया लेकिन तीसरे दिन पीड़ा बढ़ गयी. और फिर उसी डाक्टर के पास जब वह सुबह-२ पहुंचा तो डाक्टर ने दवा बदलने के साथ ही एक एक्स-रे निकालने की भी बात की. मरता क्या न करता. हाँ में सर हिलाया. पत्नी का एक्स-रे भी निकल आया. जिसमे डाक्टर को कुछ नज़र नहीं आया. वापस घर आ गए. आराम से आराम की चाहत में एक और दिन निकल गया लेकिन आराम नदारद था. अगले दिन दुसरे और बड़े डाक्टर का रुख किया, जहाँ पता चला की वो तो विशेषज्ञ हैं, ये सामान्य बीमारी है, दुसरे को दिखाना पड़ेगा. लेकिन उन्होंने एक दर्द की दवा देते और पैसे मांगते हुए एक्स-रे पर नज़र दौडाई और कहा- इसकी तो कोई जरुरत ही नहीं थी. डाक्टर साहब ने तर्क देते हुए समझाया- आप ही बताईये, दर्द तो सीने में है और एक्स-रे पीठ का निकाला है. वो और उसकी पत्नी मुह देखते रह गए. एक्स-रे के पैसे पानी में. खैर ! वे अब ये समझ चुके थे की डाक्टर सच में भगवान ही होता है…!!
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