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‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) का बेहतरीन नमूना है रा.मा.पा. कंडइवाला

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‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) का बेहतरीन नमूना है रा.मा.पा. कंडइवाला

कुछ दिन पहले एक कार्यशाला में शिरकत करने का मौका मिला. कार्यशाला में तो बहुत कुछ सिखने को मिला ही लेकिन बहुत महत्तवपूर्ण बात जो थी, वह स्कूल का ‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) फीचर्स से सज्जित होना. यह स्कूल है- रा.मा.पा. कंडइवाला. यह जिला मुख्यालय नाहन से १७ किमी. की दूरी पर स्थित है. स्कूल का सारा वातावरण और सारी चीजें वैज्ञानिक सृजनता की एक जीती-जागती प्रतिमूर्ति हैं. स्कूल के शैक्षनिंक माहौल को पूरी तरह वैज्ञानिक आधार प्रदान किया गया है.

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असल में विद्द्यालय मानव विकास का एक आधारभूत तत्व है, जो सामुदायिक रहन-सहन, योगदान एवं ज्ञान-अर्जन के साथ विश्व के भावी नागरिकों का निर्माण करता है. स्कूल हमारे व्यक्तित्व को संवारते हैं. स्कूल का भौतिक वातावरण सीखने-सिखाने की गुणवत्ता निर्धारित करता है. सामान्यतः देखने में आता है की अधिकांश स्कूल प्रशासन स्कूल भवन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. ज्यादातर इसकी उपेक्षा की जाती है. जबकि हमारी अपेक्षा विपरीत है. ऐसे में ‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) एक महत्तवपूर्ण शुरुआत है. ‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) बच्चो की जरुरत पर फोकस करता है. साथ ही अध्यापक समुदाय को बड़ी संख्या में ऐसे सुझाव उपलब्ध करवाता है, जिससे स्कूल भवन केवल एक भवन न रह जाये बल्कि एक ऐसा भौतिक वातावरण बनाये, जो बच्चो को अर्थपूर्ण शिक्षा के लिए संवेदनशीलता के साथ सहायता करे.

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स्कूल केवल एक इंट-पत्थर की संरचना नहीं है और न ही बच्चो और अद्ध्यापकों का कोई समूह भर है. यह बच्चो के लिए एक विशेष स्थान है, जहाँ बच्चे सीखते हैं और विकास करते हैं. यह एक ऐसी जगह है, जो बच्चो के विचारों को एक आकार प्रदान करता है, जहाँ से वे ज्ञान को आते देख सकते हैं. स्कूल बच्चो को रचनात्मक बनाता है. स्कूल बच्चो को वातावरण से घुलने-मिलने में सक्षम बनाता है और यह काबिलियत पैदा करता है की बच्चे भविष्य को दिशा दे सकें. इसलिए ऐसा क्यों नहीं होना चाहिए की स्कूल वातावरण बच्चो और शिक्षको के लिए एक पारंपरिक स्थान न होकर एक ऐसा आनंददायक और मनारंज्नात्मक स्थान हो, जहाँ पढने और पढ़ाने में आनंद की अनुभूति हो.

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‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) एक ऐसी शुरुआत है, जिससे बच्चे और स्कूल के खाली स्थान के बीच सम्बन्ध दिखाई देता है. ‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) का उद्देश्य फर्श, दीवार, खम्भे, सीढियां, खिड़कियाँ, दरवाजे, छत, पंखे आदि का ऐसा इस्तेमाल है, जिससे कुछ न कुछ सीखने को मिले. इस क्रम में रा.मा.पा. कंडइवाला पूरे हिमाचल प्रदेश में ही नहीं बल्कि आस-पास के राज्यों के लिए भी एक बेहतरीन मिसाल है. स्कूल में गेट से लेकर चाहरदीवारी, फर्श, दीवार, खम्भे, सीढियां, खिड़कियाँ, दरवाजे, छत, पंखे आदि सभी बच्चो को कुछ न कुछ सिखाते दीखते हैं.

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सामान्यतः जिन फार्मूलों को किताबों के माद्ध्यम से बच्चे आसानी से नहीं समझ पाते हैं, उन्ही फार्मूलों को वे ‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) फीचर्स के माध्यम से न केवल आसानी से समझ पाते हैं, बल्कि उन्हें बहुत आनंद भी आता है. गणित के सवाल हों या फिर विज्ञानं के गूढ़तम रहस्य, सभी सरल होते जाते हैं. इसके आलावा रा.मा.पा. कंडइवाला में स्वछता पर विशेष ध्यान दिया गया है. छात्राओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पैड डिस्पोजल प्लांट स्थापित कर स्कूल प्रशासन ने निश्चित ही सराहनीय कार्य किया है. अभी भी बहुत से स्कूलों में स्वच्छ शौचालयों की बात एक टेढ़ी खीर ही साबित हो रही है. लेकिन रा.मा.पा. कंडइवाला में स्वच्छ शौचालयों के साथ ही छात्राओं की सुविधा का विशेष ध्यान रखते हुए पैड डिस्पोजल प्लांट स्थापित किया गया है. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सराहनीय बात है.

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रा.मा.पा. कंडइवाला ‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) फीचर्स के कारण दूर-२ तक प्रसिद्ध हो रहा है. ‘बाला’ (बिल्डिंग एज लर्निंग एड) फीचर्स को देखने और समझने के साथ ही अपने-२ विद्द्यालयों में इसे अंजाम देने की चाह रखने और प्रेरणा पाने के लिए हिमाचल प्रदेश से ही नहीं बल्कि पडोसी राज्यों से विभिन्न स्कूलों के अभी तक यहाँ करीब ३००० छात्र-छात्राएं और स्कूल के सदस्य आ चुके हैं. छात्र-छात्राओ के आने का क्रम लगातार जरी है. विद्यालय प्रशासन और इसके शिक्षक्गन बधाई के पात्र हैं, जो शिक्षण के पवन कार्य के साथ ही बच्चों में शिक्षनेत्तर गतिविधियों को भी लगातार बढ़ावा देते रहते हैं और इसी के चलते साल भर विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाता है, जिससे बच्चे लाभान्वित होते है.

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