उसने बहुत सुना था कि इकलौता दामाद ससुराल वालों के सर पर होता है. अपने सगे बेटे या बेटों से भी ज्यादा. एक दिन वह भी घोड़ी चढ़ा और उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था. वह भी अपनी ससुराल का इकलौता दामाद बना. हाँ, यार-दोस्त जब कभी साली की बात करते, या फिर दूसरों को जब वह अपनी साली से बतियाते सुनता तो, उसका मन भी थोडा मायुश होता. काश ! मेरी भी कोई साली होती…. लेकिन अकेला दामाद होने का गर्व भी कम न था. क्या आव भगत, क्या इज्ज़त. कुत्ते को बिल्ली कह दे, वह बिल्ली ही हो जाये. शादी के शुरूआती दिन थे. घुमने का बहाना और मौका भर चाहिए. यहाँ-वहां, और उसी क्रम में एक दिन ससुराल भी जाना हुआ. हंसी-ठहाका, गप-शप. फिर रात के खाने कि मेज पर सब आ कर बैठ गए. टी.वी. चल रहा था. खाना मेज पर लाया जा रहा था. ससुर जी कि निगाह टी.वी. पर थी और मुह सलाद का आनंद ले रहा था. ब्रेकिंग न्यूज़ में उस दिन एक रेलवे स्टेशन पर कोई अपना बच्चा छोड़ गया था. मासूम बच्चे को लेकर बहुत ही भावपूर्ण ब्रेकिंग न्यूज़ चल रही थी. एंकर बता रहा था कि हमारी न्यूज़ देखकर कई बड़े दिलवाले लोगों के फ़ोन भी आने शुरू हो गए थे कि बच्चे को हम पालेंगे. न्यूज़ देखकर ससुर जी का दिल भी भर आया था. सलाद खाते-२ वो अचानक बोल उठे- अगर मै इस बच्चे को गोद ले लेता तो… मेरे चार बेटे हो जाते… थोड़ी देर बाद ब्रेकिंग न्यूज़ बदल गयी. ससुर जी खाने में ध्यान देने लगे. बाकि सबका विषय भिन्न था. लेकिन वो खाते-२ भी सोच रहा था और सोचते-२ खा रहा था. न मालूम किसने और क्यों ये बातें गढ़ी होंगी कि इकलौता दामाद ससुराल वालों के सर पर होता है. अपने सगे बेटे या बेटों से भी ज्यादा. वह सोच रहा था कि यदि ऐसा होता तो क्या ससुर जी के पाँच बेटे न हो जाते ??????? उसका भ्रम टूट चुका था. आज के इस दौर में सब बाजारी ही हो चला है. बेटा, बेटा ही होता है और दामाद, दामाद. वह केवल रिश्तेदार ही होता है. आज भी उसकी आँखों में, उसके दिलो-दिमाग में वह पल वैसे ही तारो ताज़ा है… तो मेरे चार बेटे हो जाते… ???????
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments