डबल स्टोरी बिल्डिंग में नीचे वाला मकान था उसका. २ कमरे के मकान में अन्दर वाले एक कमरे में खिड़की के पास बैठना उसे खासा पसंद था. घर पर रहने के समय अधिकांश समय उसका वहीँ गुजरता था. बाहर की शुद्ध हवा, आते-जाते लोग, और प्राकृतिक दृश्य भी वहां से देखने को मिलते, जो मन लगा रखते थे उसका. एक दिन सुबह पति के आफिस चले जाने के बाद वह घर के अन्य काम निबटाकर, वहीँ खिड़की के पास आकर बैठ गयी. हाथ में चाय की प्याली लिए वह चाय का आनंद ले रही थी. बेटे की उस दिन स्कूल से छुट्टी थी. वह आँगन में बैठा अपनी किताब पढ़ रहा था. थोड़ी ही देर में खिड़की में कुछ कचरा जैसा गिरने की आवाज आई, और उसकी आँखे कुछ देर के लिए टिक सी गयीं. अपनी खिड़की के पास बैठने की आदत के चलते वह खिड़की की बाहर की तरफ खूब साफ़-सफाई रखा करती थी. अब स्पष्ट हो चूका था- ऊपर से किसी ने मटर के छिलके फेंक दिए थे. पहले तो बहुत गुस्सा आया. वह बाहर निकल कर गयी और देखा तो छत पर कोई नहीं दिखा. गुस्सा और बढ़ गया. ऊपर वाले कमरे में एक अकेला युवक रहता था. ऐसी हरकत पहले तो कभी नहीं हुयी. अन्दर आकर अपने बेटे को आवाज़ लगायी और कहा, कि जाकर ऊपर वाले युवक से पूछे तो सही. ये क्या किया. लेकिन चूंकि अंदेशा ही था. किसने फेंका था, यह अब भी अस्पष्ट ही था. बेटा गुस्से में कुछ गलत न बोल दे, इसलिए उसे अच्छे से समझा कर भेजा. कहा- बेटा जाकर पूछना कि ये मटर के छिलके हमारी खिड़की में किसने फेंके हैं? जी मम्मी, कहकर बेटा ऊपर कि ओर सीढियां चढ़ने लगा. थोड़ी देर बाद आ कर बेटे ने बताया- नहीं मम्मी उसने नहीं फेंका है. तूने क्या पूछा? यही कि- “क्या आपने मटर की सब्जी बनायीं है ?…” उसने कहा- नहीं तो ! मै वापस आ गया. लेकिन मैंने तो तुझे कहा था कि पूछना कि- ये मटर के छिलके हमारी खिड़की में किसने फेंके हैं? पूरा वाक्य समझा कर भेजा था, फिर भी तूझे समझ नहीं आया. ओह! खैर उस दिन तो बात आई-गयी हो गयी. कुछ दिन बाद बेटे ने बताया कि उस दिन हमारी खिड़की में वह कचरा चिंटू ने फेंका था. चिंटू कि मम्मी ने अपनी छत पर बैठे मटर साफ़ किये और कचरा नीचे जाकर फेंकने के लिए चिंटू को दे दिया. लेकिन चिंटू नीचे न जाकर बगल वाले अंकल कि छत पर आया और चुपचाप वहीँ से नीचे गिरा दिया. यह देखकर कि उसे कोई नहीं देख रहा है. खेलते हुए चिंटू ने शरारत में खुद ही ये बात बच्चो के सामने बोल दी. बात तो मामूली थी लेकिन यह सोच-सोच कर उसे आज भी बहुत बुरा लगता है कि बेटे के सवाल पर वह युवक उस दिन क्या सोचता होगा ?
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