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हमारा तो नया साल होता है… (लघु कथा)

Proud To Be An Indian
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दीवाली को चंद रोज शेष थे. तैयारी जोरो पर थी. बिजनस को ऊपर पहुँचाना था, बहुत ऊपर. ताकि साईकिल से कार सीधे कार इनाम में मिले. बॉस को खुश करने की उनकी पुरानी आदत जो थी. खुश होने पर बॉस शीशे में यूं ही उतर आते. हम हमें बिजनस देने वालों को दीवाली दे रहे हैं, तो क्या हमें भी नहीं मिलना चाहिए. यही परिभाषा थी उनकी नज़रों में दीवाली की. डायरेक्ट मत कहना. इशारा करना. बॉस ने छूट दे दी. गिफ्ट्स पैक करते-२ ख्याल आया, क्यों न अपना इंतजाम भी पक्का कर लिया जाये. मिलाया जाये फोन २-४ को. और जी सर जी मोर्निंग… कैसे हैं, आप…. सोचा आपको अडवांस में ही दीवाली विश कर दें. … और सुनाये सर जी…. हा..हां..हां. हां. हां.. इस बार हमारा तो ख्याल है न सर…बिलकुल जी बिलकुल. ओके बाय. ओह यार, उसको तो फोन करना पड़ेगा. वह कल केवल ४ पैकेट ही दे गया था. यार हम तो ८ हैं. बाकि के बुरा मान जायेंगे. और फिर हमारा क्या जाता है, आखिर हम भी तो उसे बिजनेस दे रहे हैं…….. हल्लो …. हाँ जी भाई जी कैसे हैं….. सर क्या बताये, शर्म तो बड़ी आ रही है, लेकिन क्या करें. आप इज़ाज़त दो तो कुछ अर्ज़ करें. वो क्या है की आप कल ४ पैकेट दे गए थे, लेकिन हमारे यहाँ तो ८ हैं. बाकी के जरा बुरा न मान जाये, इसलिए आपको कष्ट है, ४ और भेजने पड़ेंगे. …. ओ जी ये भी कोई बड़ी बात है… पहुँच जायेंगे….. ये हुयी न बात…… अब तेरी बारी… न यार मेरे को तो तेरे जैसा सेंटी लगाना आता ही नहीं. हाँ, चल कोशिश करता हूँ, बता दे जरा क्या-२ कहना है. हल्लो … और जी सर जी मोर्निंग… कैसे हैं, आप…. सोचा आपको अडवांस में ही दीवाली विश कर दें. … और सुनाये सर जी…. हा..हां..हां. हां. हां.. पिछली बार तो आपका गिफ्ट हमें मिल ही गया था !!! (जोकि मिला ही नहीं), सोचा इस बार तो ख्याल है न सर…??? ना…ना… हमारा तो नया साल होता है… अच्छा सर. हां जी-हाँ जी. आपका नया साल होता है. फोन रखते हुए. यार उनका तो नया साल होता है………………..

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