लोगों को क्या चाहिए- चट्खारापन, मीडिया को क्या चाहिए- खबर, और विरोधिओं को क्या चाहिए- मुद्दा. यह बात हम सभी भली प्रकार जानते हैं. ग्लोबल विलेज में तब्दील होती दुनिया ने अपनी दूरियों को सेकंडों में नाप दिया है. बात करते हैं विवादित बयानों की. विवादित बयानों का एक अलग ही अंदाज होता है. कुछ लोग जान बूझकर और फिर उसे भुनाने के लिए विवादित बयान देते हैं. तो वहीँ कुछ लोगो को बयान देने के बाद पता चलता है कि उनका बयान विवादित हो गया. हाल ही में दो केंद्रीय मंत्रीगण कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश अपने कथित विवादित बयानों के कारण खासे चर्चा में हैं. पहले से ही कोल ब्लाक आवंटन मामले में चौतरफा विरोध झेल रहे मंत्री जी मुसीबत में फंस गए. ख़बरों के अनुसार अपने जन्मदिवस पर आयोजित कवि सम्मलेन में मंत्री जी कह गए कि जैसे-२ समय बीतता है, पत्नी पुरानी होती जाती है, फिर वह मजा नहीं रहता. लेकिन मंत्री जी के अनुसार उन्होंने अपनी बात पाकिस्तान पर भारत की जीत की ख़ुशी में कही थी. लेकिन उसे सन्दर्भ से हटा कर दिखाया गया. उन्होंने कहा कि जब कवि सम्मलेन शुरू हो रहा था तभी पाकिस्तान पर भारत की जीत की खबर आई तो मैंने ही कहा कि कवि सम्मलेन १५ मिनट के लिए रोक दिया जाए. और लोग जीत का जश्न मन लें. उस समय उन्होंने कहा कि जीत और शादी का जश्न तुरंत मानते हैं. क्योंकि शादी पुरानी हो जाती है तो जश्न का आनंद नहीं आता. हालांकि मंत्री जी ने बाद में माफ़ी भी मांगी. टिपण्णी के बाद का हाल तो सारे देश ने देखा भी और सुना भी. अगले दिन महिलाएं सड़कों पर उतरी, मंत्री जी के पोस्टर पर कालिख पोती और मुर्दाबाद के नारे भी लगाये. उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने की मांग भी की गयी. महिला संगठनो ने विरोध जताया. राष्ट्रीय महिला आयोग की अद्ध्यक्ष और कई अन्य लोगों ने अपनी-२ प्रतिक्रियाएं भी दीं. लेकिन स्थिति उस समय हास्यस्पद हो गयी, जब महिला संगठनों ने मंत्री जी की थू-२ के लिए पोस्टर पर राखी सावंत का चित्र छपवा लिया और राखी ने स्वयं महिला संगठनों और विपक्ष को ही आड़े हाथों ले लिया. राखी ने ये तक कह दिया कि मंत्री जी की दूसरी शादी के लिए मेरी ही तस्वीर क्यों लगायी गयी? क्यों नहीं दूसरी महिलायों की फोटो लगायी गयी? महिला हितो पर मंत्री जी को घेरने वाले तमाम लोगों के पास राखी के सवालों का कोई उत्तर नहीं था. अब इन दोनों बातों को जोड़कर देखिये. क्रिकेट के चक्कर में मंत्री जी महिलाओं के अपमान के लिए फंसे तो दूसरी ओर महिला हितों की रक्षा को आगे आये स्वयं महिला संगठन और विपक्ष ही राखी के सामने लाजवाब हो गए. मंत्री जी क्रिकेट की जीत की व्याख्या करते-२, न चाहते हुए भी वह कर गए, जिसके बारे में उन्होंने सोचा भी न होगा. और दूसरी ओर स्वयं महिला संगठन पत्नियों की रक्षा के चक्कर में एक महिला का ही मजाक बना गयीं, जिसका शायद ही उन्हें भी ख्याल रहा हो. दोनों से वह सन्देश निकला, जो वे नहीं चाहते थे. लेकिन फिर भी दोनों की बातें तूल पकड़ गयीं. ये सही है कि पद कि गरिमा और उत्तरदायित्व कि खातिर कदम फूंक-२ कर रखना चाहिए लेकिन अक्सर ऐसा हो जाता है, जिसके बारे में हमने सोचा भी नहीं होता हैं. हम सभी मिटटी के बने इंसान ही तो हैं. क्या हम गलतियों के पुतले नहीं हैं ?
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments