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अभ्यास से उन्नति

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अभ्यास से उन्नति जीवन का अखंड नियम है, क्योंकि इससे आत्मा की प्राणशक्ति को अधिक क्रिया करनी पड़ती है और वह नित्य व्यवहार में आने वाले चाकू की तरह मुर्छा आदि से मुक्त रहकर तेज ही होती है। शारीरिक और मानसिक विकास के शास्त्रीय सिद्धांतों पर विचार करने से यह सिद्ध होता है कि मानसिक विकास करना, अपनी बुद्धि को बढ़ाना, मनुष्य के अपने हाथ में है और वह प्रयत्नपूर्वक बुद्धिमान् बन सकने में सर्वथा स्वतंत्र है। बेडौल पत्थर को भी यदि थोडा-२ प्रतिदिन घिसा जाये, तो वह भी एक दिन सुडौल हो ही जाता है. जीवन में अभ्यास जरुरी है. जीवन का कोई भी पड़ाव हो, कोई भी हिस्सा हो, हमें अभ्यास करते ही रहना चाहिए. हम देखते हैं कि कार्यक्षेत्र में हम प्रतिदिन अपने कार्य को करते हैं और उसमे महारत हासिल कर लेते हैं. पदोन्नति उसी का परिणाम होता हैं. जो बच्चे रोजाना नियत रूप से अपनी पढाई लिखाई में अभ्यासरत रहते हैं, वे साल में २ महीने इम्तिहान पास करने के लिए पढने वालों से कहीं आगे होते हैं. बूँद-२ से ही सागर भरता है. यह हमें समझने की जरुरत है. अभ्यास से न केवल हम अपने को मांजते हैं अपितु इसका एक और लाभ यह है कि हमें नित नयी-२ बातें भी सीखने को मिलती हैं. यदि किसी विषय विशेष की गहराई को नापना है तो यही अभ्यास हमारी सहायता करता है. जो लोग अभ्यास से जी चुराते हैं, वे अपना ही अहित करते हैं. अतः ये आवश्यक है कि जीवनपर्यंत अभ्यास करते रहा जाये क्योंकि अभ्यास से उन्नति जीवन का अखंड नियम है.

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