मूर्ख का तात्पर्य अज्ञानी नहीं है बल्कि अज्ञानी का अर्थ है, जिसको ज्ञान न हो. अज्ञानता दूर हो सकती है. ज्ञान नहीं है तो वह जानकारी प्राप्त करने से हो जाता है. एक बच्चा अज्ञानी होता है, पर अगर वह जानने की कोशिश करे, तो उसे मूर्ख नहीं कहा जा सकता. हमारे नीति शाश्त्रों में कहा गया है की मूर्ख एक अनपढ़ भी हो सकता है और एक महाज्ञानी भी. इसलिए मूर्ख का आशय अनपढ़ से नहीं लगाना चाहिए. चाणक्य ने कहा है की अज्ञानी वह है, जो नहीं जानता, लेकिन मुर्ख वह है, जो जानना ही नहीं चाहता, क्योंकि वह जितना जानता है, उसे ही वह दुनिया का सर्वोत्तम, सर्व-ज्ञान समझने लगता है. आत्म्प्रशंशा में लीन, अहंकारी, क्रोधी, दूसरों का मजाक उड़ाने वाला होता है. सबसे बड़ी बात यह कि उसे अपने से ज्यादा श्रेष्ठ कोई और नजर ही नहीं आता है. अहंकार एक ऐसा दुर्गुण है, जो एक बार व्यक्ति के भीतर आ जाये तो वह स्वयं ही समस्त दुर्गुणों को व्यक्ति में उत्पन्न कर देता है. मुर्ख व्यक्ति अज्ञानी होकर भी स्वयं को ही सर्व-ज्ञाता समझता है. साधनहीन होकर भी बड़ी-बड़ी अभिलाषाएं पालता है और उनके पूरा न होने पर दूसरों पर बिगड़ता है. मुर्ख की एक और विशेषता है कि वह बिना कर्म के ही सफलता की चाहत रखता है. विद्द्वानों ने कहा है कि जो दोस्तों और अपनों के साथ छल-कपट करता है, जो प्राप्त को छोड़कर अप्राप्त की ओर भागता है, वह मूर्ख ही नहीं दुष्ट भी है. मूर्ख व्यक्ति दोस्ती के लिए अयोग्य लोगों को दोस्त बनाता है, और अच्छे लोगों से जलता है, उन्हें हीन समझता है और अपने असली हित-चिंतकों को वह पहचान नहीं पाता है. मूर्खों के कुछ प्रकार इस तरह हैं: ———————— – जो आत्मप्रशंसा में लिप्त हो. – जो निर्बल होकर भी शक्तिशाली से बैर रखता हो. – जो श्रद्धाहीन को उपदेश देता हो. – जो शासन न किये जा सकने वाले पर शासन करना चाहता हो. – जो थोड़े से ही फायदे से असयमित हो जाता हो. – जो सच न सुन सके और सच बोलने वाले को ही झूठा बताये. – जो दुश्मन की सेवा करके अपने हित साधन की इच्छा रखता हो. – जो अपात्र से मांगता हो. – दूसरे के साधन को अपना बनता हो. – जो महिलाओं की निंदा करता हो. – दूसरों से सहायता लेकर समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाना चाहता हो.
– जो दूसरे के उपकार को भूल जाये और अपने किये छोटे से काम की भी घूम-२ कर चर्चा करे.
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कहा जाता है की मूर्ख हमेशा से ही विद्या, शील, आयु, बुद्धि और धन आदि में महान लोगों का अपमान करते रहते हैं. मूर्खो में धैर्य नहीं होता है और वे तुरंत ही सफलता चाहते हैं.
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