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लगता है पिताजी लुढकने वाले हैं…

Proud To Be An Indian
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संतान से वंचित दंपत्ति से संतान का सुख और उसका महत्त्व पूछिये, संतान वालों से संतान का मतलब पूछिये, सभी जगह यही जबाब मिलेगा कि इससे बड़ा कोई दूसरा सुख नहीं. माता-पिता शिशु के जन्म से लेकर उसके बड़े होने तक अनेकों दुःख उठाकर भी अपने बच्चे को पालते-पोषते हैं. अपना पेट काटकर उसका पेट भरते हैं. अपनी इच्छाओं को मारकर अपने लाडले और लाडली की इच्छाओं को पूरा करते हैं. उसे दुनिया में सर उठाकर चलने और अपना भविष्य सवांरने के काबिल बनाते हैं. बच्चा आजीवन अपने माता-पिता के लिए बच्चा ही रहता है. माँ-बाप सदैव अपने बच्चे की गलतियों को माफ़ करते हैं.
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एक समय था जब माँ-बाप का दर्जा असल में ऊँचा हुआ करता था. माता-पिता चाहे जैसे भी हों, आखिर हैं तो माता-पिता ही. बूढ़े माता-पिता से घर का माहौल सम्मानजनक होता है, लेकिन आज समय बदल गया है, अब बूढ़े माँ-बाप घर का माहौल ख़राब कर रहे हैं ! यही कारण है की आज के बच्चे माँ-बाप को बोझा समझने लगे हैं. बड़े होते बच्चो को माँ-बाप अब काटने लगे हैं. हर बात में टोका-टोकाई बच्चो को पसंद नहीं.
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एक समय आता है, जब बच्चे अपनी गृहस्ती बसा माँ-बाप से अलग अपने परिवार में ही मगन हो जाते हैं. फिर तो माँ-बाप के लिए वे बस मेहमान भर बनकर रह जाते हैं. फुर्सत के समय में माता-पिता के पास अपने परिवार संग जाकर वे माता-पिता पर खासा एहसान भी करते हैं. हफ्ता, दस दिन जम कर मेहमानदारी करते हैं और फिर माँ-बाप को छोड़कर अपने परिवार में मगन हो जाते हैं. लेकिन माँ-बाप शायद ही कभी अपने बच्चो को छोड़ने की बात भी सोचते हों.
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लेकिन आज समय इतना बदल जायेगा सोचा नहीं था. आज बूढ़े माँ-बाप इतने बोझ लगने लगेंगे की व्यक्ति उनके जाने की बाट जोहने लगता है. अपने मित्र के साथ एक दिन बैठा था कि एक महाशय और आकर बैठ गए. बातों ही बातों में खुद ही जिक्र करने लगे, अपने बीमार पिता का. खुद ही कहने लगे “भाई साहब लगता है पिताजी इसी साल में जायेंगे…”. अभी कुछ दिन पहले ही तो घर जाकर आया था. अब फिर से जाना पड़ेगा. बिटिया कि शादी भी रुक जाएगी. हम सभी उनकी बातों को सुन कर एक बार के लिए तो सन्न रह गए. फिर बीमार पिता के बारे में पूछते हुए कहा- क्यों इलाज नहीं करवा रहे हो क्या ? बात गोल-मोल कर दी गयी. अब उम्र भी हो गयी है…. इस पर भला कोई क्या कहता. अब शायद समय ही ऐसा आ गया है. बूढ़े माता-पिता के बारे में हम ऐसा ही सोचने लगे हैं. कल हमारे बच्चे भी हमारे बारे ऐसी ही राय रखेंगे. ऐसी ही बाते करेंगे. शायद तब हमें बुरा नहीं लगना चाहिए.

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