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नयी किरण

Proud To Be An Indian
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आज जब सारा देश और दुनिया आतंकवाद और भ्रष्टाचार रुपी अंधियारे से त्रस्त है, ऐसे में ‘निशंक’ जी की ये कविता हमें एक संबल-सा प्रदान करती दिखाई पड़ती है. कविता की ज्यादा समझ तो मुझे नहीं है, लेकिन फिर भी मुझे ऐसा प्रतीत होता है. आप लोग भी इस कविता के भावों से सराबोर होंगे, इसी आशा के साथ आपके समक्ष ‘निशंक’ जी की ये कविता प्रस्तुत है:
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फैला है अँधियारा जग में, मिलकर दूर भगायेंगे,
नयी किरण हैं हम आशा की, नूतन दीप जलाएंगे.
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घर-घर में अब दीपक होगा,
जो जलना सिखलाएगा,
पग-पग फैले स्वार्थों को
जो मन से ही ठुकराएगा.
स्वार्थों को ठुकरायेंगे हम; गीत विजय के गायेंगे,
नयी किरण हैं हम आशा की, नूतन दीप जलाएंगे.
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कल आँगन में जग नत होगा,
उसके ही उजियारे हम,
त्याग, ज्ञान और देश प्रेम के,
मूर्त रूप हों, सारे हम.
जीवन की राहों में हम सब, सुन्दर फूल खिलाएंगे,
नयी किरण हैं हम आशा की, नूतन दीप जलाएंगे.

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– रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
की कृति ‘ए वतन तेरे लिए’ से साभार.

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