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मानवता की बात

Proud To Be An Indian
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आज फिर आप लोगों के समक्ष निशंक जी एक रचना को प्रस्तुत कर रहा हूँ. आशा ही नहीं पूर्ण विश्वाश है की आप लोगों को ये पसंद आएगी.
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आज मानवता रह-रह के रोती है
क्यों नहीं बात मानवता की होती है.
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बात आदर्श की कोई सुनता नहीं,
मार्ग परहित का क्यों चुनता नहीं.
अब तो हर बात उथली है,
क्यों नहीं बात मानवता की होती है.
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क्यों न मर्यादा को हमने जाना यहाँ,
क्यों न धरती को माँ सबने माना यहाँ.
आज संस्कृति घुट-घुट रोटी है,
क्यों नहीं बात मानवता की होती है.
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भाई-भाई को न कोई सहता जहाँ,
बेगुनाह खून धरती पे बहता वहां.
ये धरा तो सभी को ही धोती है,
क्यों नहीं बात मानवता की होती है.
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देख निर्धन को सबने ही कुचला जहाँ,
ढोंग का बन गया व्यक्ति पुतला वहां.
आज मानवता पहचान खोती है
क्यों नहीं बात मानवता की होती है.
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– रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
की कृति ‘ए वतन तेरे लिए’ से साभार.

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