वर्तमान भारत की दशा देख अकूत दुःख होता है. इतने घोटाले, फर्जीवाड़े, जालसाजी आदि आखिर भारत को किस दिशा में लेकर जा रहे है ? श्रेष्ठ लोग प्राय कष्ट में रहते हुए भी जन-सामान्य के कल्याण अवं unke सुख में ही स्वर्गिक सुख की अनुभूति करते थे और इसी को अपना सुख मान लेते थे. आज ऐसा महसूस करने वाले जनता के प्रतिनिधि करीब-२ शुन्य rah गए हैं. लोगों की सेवा करना आज व्यक्ति की आकंठ इच्छाओं को पूर्ण करने लिए अकूत धन के प्रयोजन हेतु साम, दाम, दंड, भेद कुछ भी अपनाना बन कर रह गया है. ऐसी स्थति में सत्ता में इस प्रकार के लोगों की भरमार, भ्रस्टाचार, मंहगाई, घोटाले, मतभेद, स्वार्थ आदि को ही बढ़ावा मिल रहा है और ऐसा ही वर्तमान में हम देख भी रहे हैं. जिसका कि कोई हल निकलता नज़र भी नहीं आ रहा है. अत्यंत जीर्ण-शीर्ण avam दयनीय हालत में रहकर भी लाल बहादुर शाश्त्री जैसे लोग देश के उच्चतम पद तक पहुंचे. आखिर इसका क्या कारन रहा होगा ? कारन था कि ये लोग निस्वार्थ भाव से avam त्याग के बल पर देश प्रेम के चलते देश सेवा करते थे. इन जैसे लोगों का आदर्श आज के नेताओं के लिए आदर्श kadapi नहीं बन sakta है. kangres में इस प्रकार के udaharnon कि kami नहीं rahi है lekin आज इसी kangres के raaj में इस देश ki jo halat हो rahi है, vah kabile gaur है.
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