अमूमन सभी छोटे-बड़े कर्मचारियों की सेवानिर्वित्ति की तिथि तय होती है. जो कुछ बहुत बुद्धिजीवी किस्म के होते है, उन्हें सरकारी अमला छोड़ना ही नहीं चाहता है, और परिणामस्वरूप उसका कार्यकाल बढ़ा दिया जाता है. हमारे देश में यदि कोई सेवानिर्वित्त नहीं होता है तो वह हैं हमारे नेताजी ! अभी हाल ही में समाचारों में पढ़ने को मिला की ओरेगान विश्वविद्द्यालय के शोधकर्ताओं का कथन है की जब पत्तियां खाने वाली चीटियों के दांत घिस जाते है, तो सेवानिर्वित्त हो जाती है, और बूढ़ी चीटिंयां पत्तियां काटने के स्थान पर पत्तियों को ढोने का काम करती हैं. लेकिन हमें शायद नहीं भूलना चाहिए की ये चीटियाँ है, कोई मनुष्य थोड़े ही हैं ! जो अपने स्वार्थ के लिए कुंडली मारे बैठा रह सकता है. हमारे देश की यही विडम्बना है की लोग अपने अधिकारों की कोई सीमा रेखा स्वीकार करने को तैयार ही नहीं होते हैं. लेकिन वहीँ जिम्मेदारियों में थोड़ी सी बढ़ोत्तरी होने पर चिल्ल-पो करने लगते हैं. इस देश में करीब १२०० से अधिक राजनीतिक पार्टियाँ हैं, जिनमे से करीब २००-२५० पार्टियाँ ही राजनीतिक गतिविधियों में लगी हुयी हैं. तो फिर बाकी की पार्टियाँ क्या कर रही हैं ? वे सभी चांदी कूटने का काम कर रही हैं. इस देश में ऐसे-२ नेताजी हैं, जो ठीक से चल-फिर नहीं सकते, जो बिना सहारे के खड़े नहीं हो सकते. लेकिन यदि इनसे सेवानिर्वित्त होने की अपेक्षा कर ली तो समझिये जुर्म कर लिया. ७० के ऊपर जा पहुंचे नेता भी प्रधानमंत्री जैसे पदों पर आसीन होने का सपना सजोयें हुए हैं. आये दिन इस बात पर चर्चा होती ही रहती है. जो कुछ नौजवान राजनीती में हैं, वे आटे में नमक के सामान हैं या फिर वे भी बुजूर्गों का ही अनुसरण कर रहे हैं. अनुसरण करना बुरी बात नहीं हैं, लेकिन ……………. ? यदि इस देश के तमाम नेताजी समय पर रिटायर हो जाये तो नौजवानों को आगे आने का अवसर मिलेगा. कल्पना कीजिये की हमारी संसद और विधान सभाओं में नौजवान ही नौजवान है. बुजुर्ग उनका मार्गदर्शन कर रहे हैं और नौजवान बड़ी ही चुस्ती-फुर्ती के साथ बैठके कर रहे हैं. चर्चा-परिचर्चा कर रहे हैं. सारे काम झट-पट होने लगे हैं. कोई खींच-तान नहीं हैं. कोई किसी को लंगड़ी नहीं मार रहा है. और २०२० का भारत बस अगले १-२ सालों में ही दिखाई देने लगा है. ये सब कोरा सपना नहीं है. ये सब हो सकता है बशर्ते हमारे तमाम बुजुर्ग नेताजी खुद ही समय से रिटायर हो जाये और फिर भी देश को अपनी-२ सेवा देते रहें.
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