Menu
blogid : 580 postid : 1249

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे !

Proud To Be An Indian
Proud To Be An Indian
  • 149 Posts
  • 1010 Comments

भारत की विदेश नीति में चीन के साथ हमारे संबंधों का एक महत्तवपूर्ण स्थान है. जिस समय भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुयी, उस समय चीन में भयंकर गृह युद्ध चल रहा था. साम्यवादी उस समय गृह युद्ध में विजय की ओर अग्रसर थे. इधर भारत की अपनी अनेक समस्याएं थीं, जो देश के विभाजन से उत्पन्न हुयी थी. अतः आरम्भ में भारत-चीन सम्बन्ध केवल औपचारिक थे. परन्तु चीन की क्रांति के बाद दोनों देशों के बीच शीघ्रता से घनिष्ठ और मत्रिपूर्ण सम्बन्ध विकसित होने लगे.
————————————————————————————————————————————————–
जनसँख्या, मानव और प्राकृतिक संसाधनों अवाम शमता की दृष्टि से भारत और चीन को एशिया में जो स्थान प्राप्त है वह अन्य किसी देश को नहीं है. इन दोनों देशों के संबंधों की पृष्ठभूमि में एक गौरवशाली इतिहास है. २००० वर्ष से भी अधिक पूर्व भारत-चीन सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित हुए थे. आधुनिक समय में १९२७ में जब ब्रुसेल्स सम्मलेन में शोषित और पीड़ित देशों के प्रतिनिधि एकत्र हुए उस समय भारत और चीन के प्रतिनिधिओं ने संयुक्त वक्तव्य जारी किया था.
————————————————————————————————————————————————–
इस वक्तव्य में पश्चिमी साम्राज्यवाद को पराजित करने के लिए भारत-चीन सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया था. जापान द्वारा चीन के मंचूरिया प्रान्त पर जब १९३१ में आक्रमण किया गया, तब भारत के राष्ट्वादियों ने न केवल चीन दिवस मनाया, बल्कि जापानी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान भी किया. भारत ने ३० दिसंबर १९४९ को साम्यवादी चीन को मान्यता प्रदान कर दी थी. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में जनवादी चीन के प्रतिनिधित्व का पूरा समर्थन किया. भारत ने यह स्पष्ट किया की जिस सरकार को चीन की करोड़ों की जनसँख्या ने हृदय से स्वीकार किया, उसको मान्यता देना और संयुक्त राष्ट में उसकी सदस्यता का समर्थन कर्म स्वाभाविक और नैतिक था.
————————————————————————————————————————————————-
जहाँ तक भारत का प्रश्न है, उसने जिस समय जो उचित समझा वैसा करके अपनी स्वतंत्र नीति का परिचय दिया. प्रधानमंत्री नेहरु ने अपने एक पत्र में भारतीय राजदूत पणिक्कर को कहा था की जब-जब चीन में शक्तिशाली सरकार की स्थापना हुयी तब-तब उसने अपनी सीमायों के विस्तार के प्रयास किये. यही प्रवृत्ति नए गतिशील चीन में भी देखने को मिल रही थी. नेहरु ने भारत की नीति को नयी दिशा देकर यह अपेक्षा की की चीन के साथ कोई संघर्ष नहीं होंगे परन्तु व्यव्हार में ऐसा हुआ नहीं.
————————————————————————————————————————————————–
तिब्बत भारत के उत्तर में स्थित है. इसकी राजनीतिक व्यवस्था बौद्ध परंपरा पर आधारित थी. तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा वहां के राज्याद्ध्यक्ष भी हुआ करते थे. तिब्बत की सामाजिक व्यवस्था प्राचीन और सामंतवादी परम्पराओं पर आधारित थी. तिब्बत लम्बे समय तक शक्तिशाली राज्य था. परन्तु १८वी शताब्ती में 6th दलाई लामा के उत्तराधिकारी के प्रश्न पर तिब्बत पर तिब्बत और मग्नोलिया में तीर्व मतभेद उत्पन्न हो गए. चीन ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा पर अपना नियंत्रण स्थापित कर के स्वेच्छा से ७वे दलाई लामा का चयन किया. १९वी शताब्दी को चीन का भाग स्वीकार किया गया.
————————————————————————————————————————————————–
चीन की तिब्बत नीति से भारत प्रसन्न नहीं था. परन्तु फिर वह चीन के साथ अपनी मैत्री को प्रभावित नहीं होने देना चाहता था. साम्यवादी चीन को संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व दिलवाने का भारत ने निरंतर समर्थन किया. न केवल १९५० के दशक में बल्कि १९६२ में भारत पर चीनी आक्रमण के समय और उसके पश्चात भी भारत चीन को समर्थन देता रहा.
————————————————————————————————————————————————–
प्रधानमंत्री चाऊ-एन-लाइ की भारत यात्रा (जून १९५४) के अंत में भारत और चीन के प्रधानमंत्रियों ने एक संयुक्त विज्ञप्ति में इस पर बल दिया की दोनों देशों के पारस्परिक सम्बन्ध भविष्य में पंचशील के ५ आदर्शों पर आधारित होंगे. इन सिद्धांतों में- (१)- एक-दूसरे को प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता के लिए पारस्परिक सम्मान की भावना पर आचरण करना, (२)- एक-दूसरे पर आक्रमण न करना, (३)- एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना, (४)- परस्पर समानता और मित्रता की भावना, (५)- शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व. पंचशील पर हस्ताक्षर होने के बाद के ४ वर्षों को भारत-चीन की प्रगाढ़ मैत्री तथा हिंदी-चीनी भाई-भाई का काल कहा जाता है.
——————————————————————————————————————————————–
भारत-चीन संबंधों में तनाव का पहला संकेत १९५८ में तब मिला जब चीन के एक प्रकाशन चाइना पिक्टोरियल में प्रेषित चीन के मानचित्रों में भारत के कुछ प्रदेशों को चीन के भाग के रूप में दिखाया गया. इन मानचित्रों में उत्तर-पूर्व के लगभग ३६००० वर्गमील भारतीय प्रदेश को और उत्तर-पश्चिम के लगभग १२००० वर्ग मील प्रदेश को चीन के भाग के रूप में दिखाया गया. भारत ने इन मानचित्रों पर आपत्ति की और चीन सरकार का ध्यान इस अनुचित प्रकाशन की और दिलाया तब चीन ने यह कहकर टाल दिया कि वे मानचित्र तो पुरानी राष्ट्रवादी सरकार के मानचित्र थे और चीन के नया सर्वेक्षण करने का अवसर ही नहीं मिला था. जब तक चीन सरकार सर्वेक्षण नहीं करवा लेती तब तक वह चीन की सीमाओं में फेर-बदल का कोई प्रयत्न नहीं करेगी. यह आश्वाशन निरर्थक साबित हुआ और भारत-चीन सीमा विवाद का आरम्भ हो गया.
————————————————————————————————————————————————
तिब्बती गुरु दलाई लामा १९५९ से भारत में सम्मानित राजनीतिक शरणार्थी के रूप में रहने लगे. भारत के उत्तरी सीमाओं के साथ-साथ चीनी सेना तैनात कर दी गयी. चाहे भारत ने तिब्बत के विषय में चीन की वैधानिक स्थिति का पूरा समर्थन किया फिर भी तिब्बत के साथ भारत के सहानुभूति चीन सहन नहीं कर सका. केवल इसलिए की मानवीय आधार पर भारत ने दलाई लामा को अपने देश में रहने की आज्ञा दे दी, भारत और चीन के संबंधों में दरार पड़नी आरम्भ हो गई. भारत द्वारा दलाई लामा को शरण दिए जाने को शत्रुता-जैसा कार्य कहा गया और यह आरोप लगाया गया की भारत विस्तारवादी नीति पर चल रहा है.

——————————————————————————————————————————————–

अपरोक्त तथ्यों से ज्ञात होता है की भारत ने सदैव चीन के साथ सहयोग की भावना का परिचय दिया. तिब्बत के मामले में यदि भारत ने हस्तक्षेप किया तो मात्र मानवीय पहलू को दृष्टिगत रखते हुए न की अपने किसी हित विशेष के लिए. लेकिन चीन ने हमेशा भारत के साथ गैर-दोस्ताना बल्कि भारत को दबाने की नीति का ही परिचय दिया है. आज भी चीनी बाज़ार किस प्रकार से भारत पर हावी है, यह बताने जरुरत नहीं. हालाँकि अब तक के अनुमान यही साबित करते है की चीन और भारत दोनों आपसी रिश्तों को मधुर करने के लिए लालायित है. दोनों देशों के १३ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए है तथा आपसी सहयोग और साझेदारी को आगे बढ़ने के लिए १० बिन्दुयों पर भी सहमती बनी. दोस्ती तो ठीक है लेकिन जब दोस्ती ड्रेगन से करनी हो तो एहतियात ही नहीं बहुत एहतियात की आवश्यकता होती है और वैसे भी आज भी चीन का झुकाव पाकिस्तान जैसे देशों की और ही अधिक है.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh