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“ये मेरी बहन है… और वो…?”

Proud To Be An Indian
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women violence

सबसे पहले तो आप सभी को रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामना.
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अभी चंद रोज पहले जागरण जंक्सन की ओर से रक्षा बंधन पर अपने-२ विचार व्यक्त करने का न्योता मिला था. सोचा मै भी कोशिश करूँ दो-चार लाइने लिखने की. आखिर क्या तोहफा दिया जा सकता है बहनों को, जो अमर हो जाये. ले दे के एक प्यार ही दीखता है जो कभी ख़त्म नहीं होता, कभी मरता नहीं है. इसे जितना फैलाव, उतना बढ़ता ही रहता है. लेकिन फिर सोचता हूँ आखिर प्यार रह ही कहाँ गया है ? हम तो औपचारिकता में ही जीने लगे है. दिखावा ही करने लगे है. फिर अगर ये मान भी लिया जाये की हम अपनी बहनों के प्रति पूर्ण प्रेम सच में रखते भी है, तो क्या- “ये मेरी बहन है वो…थोड़े ही ?” की भावना को किस रूप में देखना चाहिए ?
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आज भी महिलाये शोषण का शिकार हो रही है. मानसिक शोषण, शारीरिक शोषण, सामाजिक शोषण आदि. क्या हम अपनी ही बहनों का शोषण कर रहे है ? नहीं, हम तो एक ‘औरत’ का शोषण करते है. लेकिन वह ‘औरत’ क्या किसी और की बहन नहीं है ? यदि है, तो क्या हमारा अपनी खुद की बहन के प्रति प्रेम सच्चा है ? कैसे हो सकता है ? जब हमारी बहन को कोई बुरी नज़र से देखता है, तो हमारा खून खौल उठता है, लेकिन जब हम दुसरे की बहन पर कूदृष्टि डालते है, तब ?
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बाज़ार ने औरत को एक नयी परिभाषा में ही गढ़ दिया है. कुछ औरतें इसे अपनी उन्नति भी समझ रही है. थोड़ी उन्नति हो भी रही है, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन इससे इंकार नहीं की औरत को इस्तेमाल कर बाज़ार मालामाल हो रहा है. इसे किस रूप में देखना चाहिए ? आखिर बहन की रक्षा से क्या आशय होना चाहिए ?
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हममे से करीब ९० फ़ीसदी लोग शायद ऐसा करते है. कुछ चाह कर, कुछ न चाह कर भी ऐसा करते है. लेकिन फिर भी हम अपनी बहन से बहुत प्यार करते है. कैसा है ये प्यार ? क्या हमारी ये भावना हमारे अन्दर से समाप्त हो पायेगी की- “ये मेरी बहन है और वो…?” जब हमारे अन्दर ये भावना जन्म ले लेगी की जो इज्जत मेरी बहन की है, वही इज्जत दुसरे की बहन की भी है, मुझे लगता है, एक बहन को भाई का वही कीमती तोहफा होगा.
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जब तक सारा समाज एक-दुसरे की बहनों की रक्षा को आगे नहीं आता, समझ में नहीं आ रहा है की हम अपनी बहनों की रक्षा कैसे कर पाएंगे ? क्योंकि जब तक “ये मेरी बहन है वो…थोड़े ही ?” की भावना हमारे अन्दर रहेगी तब तक हमारी बहन भला कैसे सुरक्षित रह सकती है ? शुरुआत तो खुद से ही करनी होगी.
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मेरी ओर से रक्षा बंधन पर बस यही.

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